Classification of D.C. Motor (डी०सी० मोटरो का वर्गीकरण हिन्दी में)

Classification of D.C. Motor (डी०सी० मोटरो का वर्गीकरण हिन्दी में)

DC MOTOR क्या है ?

DC MOTOR एक ऐसी विधुतिक मशीन है जो डायरेक्ट करंट पर चलने वाली मोटर हैं इसका मुख्य काम विधुतिक ऊर्जा को यांत्रिकी ऊर्जा में परिवर्तित करना हैं। DC मोटर बहुत ही ज्यादा उपयोगी हैं परन्तु हम आज के समय में इसका उपयोग सिर्फ कुछ ही महत्वपूर्ण स्थानों पर करते हैं। DC मोटर का उपयोग उन जगहों पर किया जाता है जहाँ ज्यादा बल आघूर्ण () की आवश्यकता होती है , क्योंकि इसके गति और बल आघूर्ण के बीच संबंध AC मोटर से ज्यादा अच्छे होते है। DC मोटर का मुख्यतः उपयोग इलेक्ट्रिकल ट्रैन , स्टील मील , रोलिंग मील ,बच्चों के खिलौनों आदि में किया जाता हैं।  

DC MOTOR का कार्य सिद्धांत (Working Principle of DC Motor)

डी० सी० मोटर, विधुत चुंबकीय खिचाव के सिद्धांत पर कार्य करती है। इस सिद्धांत के अनुसार -"किसी चुंबकीय क्षेत्र में अवस्थित विधुत धारावाही चालक अपना स्वयं का एक चुंबकीय क्षेत्र स्थापित करता है और एक ही स्थान पर कार्यरत इन दो चुंबकीय क्षेत्रों की पारस्परिक प्रतिक्रिया के फलस्वरूप चालक में एक घुमाव बल (Torque) पैदा हो जाता है। "

डी० सी० मोटर्स मुख्यतः निम्न तीन प्रकार की होती है -

(अ). सिरीज मोटर 
(ब). शंट मोटर 
(स).  कम्पाउंड मोटर 

कम्पाउंड मोटर्स निम्न दो प्रकार की होती है -

(१). क्युमलेटिव कम्पाउंड मोटर 

      (क). लॉन्ग -शंट                 (ख). शॉर्ट-शंट 

(२). डिफरेन्शिअल कम्पाउंड मोटर 

       (क). लॉन्ग -शंट                 (ख). शॉर्ट-शंट 


(अ). सिरीज मोटर:

सिरीज मोटर में फिल्ड वाइंडिंग ,आर्मेचर के श्रेणी -क्रम में संयोजित होती हैं इस मोटर में पूरी आर्मेचर करंट , फिल्ड वाइंडिंग में से होकर प्रवाहित होती है अतः वह मोटे तार तथा कम लपेटो वाली बनाई जाती हैं। इस मोटर को कभी भी बीना लोड के नहीं चलाया जाता हैं ,क्योकि लोड शून्य होता है तो गति  अधिक होती है और जैसे जैसे लोड बढ़ाया जाता है गति कम हो जाती हैं।  इस लिए इसे ऐसे स्थान पर उपयोग में लिया जाता है जहाँ लोड हमेशा एक ही सामान होता है। सीरीज मोटर का स्टार्टिंग-टॉर्क बहुत अधिक होता है। कुछ मोटर में तो यह, फुल लोड-टॉर्क का पाँच गुना तक हैं। 


(ब). शंट मोटर :

इस मोटर में फिल्ड वाइंडिंग आर्मेचर तथा सप्लाई-स्रोत्र के समनान्तर क्रम में संयोजित होती है। अतः फील्ड करंट और परिणामतः फील्ड-फ्लक्स का मान लगभग स्थिर होता हैं। शंट मोटर की फील्ड-वाइंडिंग पतले तार तथा अधिक लपेटो वाली बनाई जाती हैं। शंट मोटर को लोड-रहित अवस्था में चलाया जा सकता हैं और इस अवस्था में मोटर को केवल इतने ही टॉर्क की  आवश्यकता होती हैं  जितना की उसकी यांत्रिक-क्षति आदि की पूर्ति के लिए आवश्यक हैं। 

शंट मोटर की गति में , लोड-रहित अवस्था से पूर्ण-लोड अवस्था तक, बहुत थोड़ा अन्तर पैदा होता हैं। शंट मोटर का स्टार्टिंग-टॉर्क, पूर्ण-लोड-टॉर्क का लगभग 1.5 गुना होता है परन्तु यह इतना अधिक भी नहीं होता जितना की सिरीज मोटर का होता हैं। शंट मोटर का स्पीड-रैगुलशन अच्छा होता है। 

(स).  कम्पाउंड मोटर :

जिस डी० सी० मोटर में दो प्रकार की फील्ड-वाइंडिंगस , अर्थात सिरीज तथा शंट फिल्ड-वाइनडिंग्स प्रयोग की जाती है वह कम्पाउंड मोटर कहलाती है। एक डी० सी० कम्पाउंड मशीन को मोटर अथवा जनरेटर की भांति उपयोग किया जा सकता है। कम्पाउंड मोटर मुख्यतः दो प्रकार की होती है -

(१). क्युमलेटिव कम्पाउंड मोटर :

जब किसी कम्पाउंड मोटर की सिरीज तथा शंट फील्ड वाइनडिंग्स को इस प्रकार संयोजित किया गया हो की उनके द्वारा पैदा किये गए चुंबकीय-क्षेत्र , एक-दूसरे के साथ सहयोग करने वाले हो तो वह  क्युमलेटिव कम्पाउंड मोटर कहलाती हैं। यह मोटर मुख्यतः दो प्रकार के होते है लॉन्ग शंट और दुसरा शार्ट शंट। 

  क्युमलेटिव कम्पाउंड मोटर की गति , लोड में वृद्धि होने पर शंट मोटर की अपेक्षा तो अधिक घटती है परन्तु सिरीज मोटर की अपेक्षा कम घटती हैं। इस प्रकार की मोटर ,लोड-रहित अवस्था में एक नियत गति पर चलाई जा सकती हैं। 
  क्युमलेटिव कम्पाउंड मोटर ऐसी मशीनों को चलाने के लिए प्रयोग की जाती है जिन्हे स्थिर गति पर चलाना अपेक्षित हो और जिनका लोड परिवर्तित होते रहता है जैसे कि - प्रैस , रोलिंग मशीन , कम्प्रेसर ,एलिवेटर आदि। 

(२). डिफरेन्शिअल कम्पाउंड मोटर :

जब किसी कम्पाउंड मोटर की सिरीज तथा शंट फील्ड -वाइंडिंगस को इस प्रकार संयोजित किया गया हो कि उनके द्वारा पैदा किये गए चुंबकीय-क्षेत्र , एक-दुसरे के विपरीत कार्य करने वाले हो तो वह  डिफरेन्शिअल कम्पाउंड मोटर कहलाती हैं। यह मोटर मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं - लॉन्ग शंट और दूसरा शार्ट शंट। 

यह मोटर , ओवरलोड स्थिति में अपने अस्थिर व्यवहार के कारण समान्यतः प्रयोग नहीं की जाती है। अतः इसका उपयोग केवल ऐसे कार्यो में किया जाता है जिनमे पूर्ण-लोड का मान नियत रहता है , जैसे - बैट्री चार्जर सेट, बूस्टर आदि। 

इस विषय पर सामान्यता पूछे जाने वाले सवाल जवाब :

प्र्शन - डीसी मोटर क्या हैं ?
प्र्शन - डीसी मोटर का कार्य सिद्धांत क्या हैं ?
प्र्शन - डीसी मोटर कितने प्रकार के होते हैं ?
प्र्शन - डीसी सिरीज मोटर क्या हैं ?
प्र्शन - डीसी शंट मोटर क्या हैं , कैसे काम करता हैं ?
प्र्शन - डीसी कम्पाउंड मोटर क्या है और कैसे काम करता हैं ?
प्र्शन - बैक EMF क्या हैं ?

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